The number of times this cunning life utters "Check & mate my dear", I snicker and reply, "Good move but not better enough to put me down, try harder and yes, better luck next time."
काटे थे जो वो पल एक साथ क्या भुल गयी तु बैठे रहते थे रख हाथों में हाथ क्या भुल गयी तु नज़रे नही हटाती थी जो पहरों मुझसे सच बताना क्या वो भी भुल गयी तु...
मुझे अपना बनाने की जो जिद थी क्या भुल गयी तु संग साथ रहने की ख्वाहिश थी क्या भुल गयी तु हमबिस्तर नही लेकिन हमराज़ तो थे हम कसम से क्या वो भी भुल गयी तुम...
मोहोब्बत का जो हमारा किस्सा था हर जुबान पे क्या भुल गयी तु सांसो में मिलाई थी खुशबू जो मेरी क्या भूल गयी तु ज्या हमने भी माफ किया तुझे फिर क्या हुआ जो इस कदर चाह कर भी हमे भुल गयी तु...