मस्जिद तो हुई हासिल तुमको, बस ईमान गंवा बैठे ।
मंदिर को बचाया तुमने, बस भगवान गंवा बैठे ।
धरती को जीतकर तुम, चांद सितारों तक पहुंचे ।
कायनात को जीत लिया, बस इन्सान गंवा बैठे ।
मजहब के ठेकेदारों ने..आज फिर हमे युं भड़काया ।
के काजी और पंडित तो जिन्दा थे,
पर हम अपनी जान गंवा बैठे ।
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