QUOTES ON #KALAMSE

#kalamse quotes

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10 JUL 2020 AT 19:24

सोचते थे, कितनी असान है, ये जिंदगी।
मिटा कर, फिर लिख सकते थे जिंदगी।
इलज़ाम लगे खामियों के, तो होश में आये,
के स्याही के दाग से, बेई-मान लगे जिंदगी।

तुमसे अलग होने के बाद पता चला।
गलती सुधारने का मौका जब न मिला।

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12 OCT 2020 AT 23:31

लफ़्ज़ों का दायरा था इतना,
अल्फ़ाज़ मेरे सिमट से गए..
दो जिस्म एक जान का वादा सनम,
अब मेहेज एक ख्वाहिश..
जिसका ना कोई ठिकाना रहा।।

ये सफ़र अधूरा सनम..
कमबख्त लकीरें!
आज भी तेरा नाम ले रही।।
ये दर्द बे-दस्तूर सनम..
कमबख्त! तर्क-ए-मोहब्बत,
आज भी ज़ख्म हरा कर गई।।

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16 JAN 2021 AT 14:10

जो कर दूं बयां तो सरेआम हो जाओगे
मोहब्बत की शायरी में
जनाब
आप हमारे ही नाम से जानें जाओगे

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11 DEC 2020 AT 21:10

किसी की आदत हो जाना
मोहब्बत से भी ज़्यादा खतरनाक है

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11 DEC 2020 AT 21:16

Jo pasand thi meri, lgta h bo ab kahin kho gyi h,
tumhe mousam ki trh yun badalta dekh jana,
mujhe apni pasand se nafrat ho gyi h.

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22 DEC 2020 AT 14:18

मैं मिलूंगी तुमसे उस दुनिया में,

जहाँ पास लाकर दूर करने का रिवाज़ न हो
जहाँ चेहरे और औक़ात से पहचान न हो
जहाँ हर दिन एक नए चेहरे से प्यार न हो
जहाँ जज़्बातों से कोई मज़ाक न हो

मैं मिलूंगी तुमसे उस दुनिया में....!

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8 APR 2019 AT 19:02

जो जबां से ना कह पाए हम,
अपनी कलम से लिख जायेंगें।

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17 MAR 2018 AT 2:47

Dil meri par dharkti tere liye hai
Kalam meri par likhti tere liye hai

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20 AUG 2020 AT 18:48

भस्म हुई प्रीत की कहानी.......

भस्म हुई ओस की कहानी जब मिली रश्मी किरण से।
अंत लिखा था भाग्य ने, रश्मी से ओस की प्रीत की कहानी का। मिलना अंत का कारण था, फिर भी दोनो ने नीयति कबूल की।चंद पलों की बेफ़िक्री में जी ली पूरी उम्र की कहानी। वो पल भर का स्पर्श रोशन कर गयी थी उन्हें। ओस ने बेपन्नाह मोह्हबत की थी रश्मी किरण से ये बात ज़माने को खबर लग गई। उनकी मोहहबत की रोशनी का दीदार तो उस दिन वहाँ मैजूद सब ने किया। शीतल ओस की काया ही बदल गयी जब रश्मी ने उसे छुआ। ओस में समायी थी शीतलता इसके विपरीत रश्मी तपिश का अंश लिए आतुर थी अपने मिलन को। शीतलता का तपिश से मेल कुछ अनोखा संगम बना गया। देखते ही देखते अंत की ओर चल पड़े थे दोनो, बन कर वाष्प वापस लौटने को आसमा की ओर। जहाँ नियति भी उनका साथ दिए जा रही थीं। अंत हो चुका था कहानी का भाग छोर् कर बस याद इस जहां में। भस्म हुई प्रीत की कहानी बिखेर कर बस दोनो की याद।

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चुप्पी साधे काहे बैठी हो
रुठी हमसे हो या
परेशां हरकतों से हो

अब छोड़ भी दो अपनी ज़िद...

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