भस्म हुई ओस की कहानी जब मिली रश्मी किरण से। अंत लिखा था भाग्य ने, रश्मी से ओस की प्रीत की कहानी का। मिलना अंत का कारण था, फिर भी दोनो ने नीयति कबूल की।चंद पलों की बेफ़िक्री में जी ली पूरी उम्र की कहानी। वो पल भर का स्पर्श रोशन कर गयी थी उन्हें। ओस ने बेपन्नाह मोह्हबत की थी रश्मी किरण से ये बात ज़माने को खबर लग गई। उनकी मोहहबत की रोशनी का दीदार तो उस दिन वहाँ मैजूद सब ने किया। शीतल ओस की काया ही बदल गयी जब रश्मी ने उसे छुआ। ओस में समायी थी शीतलता इसके विपरीत रश्मी तपिश का अंश लिए आतुर थी अपने मिलन को। शीतलता का तपिश से मेल कुछ अनोखा संगम बना गया। देखते ही देखते अंत की ओर चल पड़े थे दोनो, बन कर वाष्प वापस लौटने को आसमा की ओर। जहाँ नियति भी उनका साथ दिए जा रही थीं। अंत हो चुका था कहानी का भाग छोर् कर बस याद इस जहां में। भस्म हुई प्रीत की कहानी बिखेर कर बस दोनो की याद।