काश!
शब्द को लिखते ही
वो घेर लिया करता
काग़ज पर
उतना ही स्थान
जितने उसमें भाव तथा
अर्थ छिपे हैं
और अगला शब्द
लिखने के लिये
हमें टटोलना पड़ता
सम्पूर्ण काग़ज़ और
कभी कभी सम्पूर्ण डायरी,
तब मैं 'प्रेम' लिखती
और वो घेर लेता स्थान
न जाने कितने ही ग्रंथों का
एक साथ!
-