लाखों घर हैं
फिर भी हजारों बेघर हैं
एक इंसान के दो मकान खडे़ है
एक में वो और चार कमरे खाली पड़े हैं
कुछ किस्मत की मार
कुछ अपनों से हार
कितना घनेरा, जिंदगी में कैसा अंधेरा कर दिया
क्या मौजूद हैं इंसानियत, मजबूत को मजबूर कर दिया
गर्मी हो या सर्दी
आंधी हो या तूफान
उनका कौन है भगवान
नज़रें हमारी क्यों सो गई
हैसियत में क्यों इंसानियत खो गई
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