QUOTES ON #HOMELESS

#homeless quotes

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13 MAR 2017 AT 1:57

Homeless in Holi


..Cont in caption.

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26 FEB 2020 AT 14:26

भिखारी से क्या पुछता है
तेरा घर कहां है
उसे फिक्र सिर्फ एक रोटी की होती है।

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21 MAY 2021 AT 0:18

लाखों घर हैं
फिर भी हजारों बेघर हैं
एक इंसान के दो मकान खडे़ है
एक में वो और चार कमरे खाली पड़े हैं

कुछ किस्मत की मार
कुछ अपनों से हार

कितना घनेरा, जिंदगी में कैसा अंधेरा कर दिया
क्या मौजूद हैं इंसानियत, मजबूत को मजबूर कर दिया

गर्मी हो या सर्दी
आंधी हो या तूफान
उनका कौन है भगवान

नज़रें हमारी क्यों सो गई
हैसियत में क्यों इंसानियत खो गई

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17 OCT 2019 AT 13:09

मैं ख़ाना-बदोश सा ज़िंदगी बसर कर लूंगा,
पर ज़मीन काट कर घरौंदा नहीं बनाऊंगा !!


میں خانہ بدوش سا زندگی بسر کر لوں گا..
پر زمین کاٹ کر گھروندا نہیں بناؤں گا !!

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5 APR 2017 AT 3:21

To feel homeless,
you don't need
to be
without
a place to live.

You just need
to feel
unwelcome
with
the one you love.

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5 APR 2020 AT 17:15

अगर एक दीये में 10 ग्राम तेल आता है और
आज एक घर में कम से कम 2 या 4 दीये जलाए जाएँगे
तो आप खुद समझ सकते हैं 40 अरब दियों के तेल से
कितने भूखे भारतीयों के लिए भोजन बन सकता है
क्यूँ ना उसी तेल से कुछ भूखे पेटों को राहत दी जाए
हाँ एक बात और इसमें कुछ मेरे ऐसे भी देशवासी होंगे
जो एक घर में 5-5 और 10-10 दिये भी जलाएंगे
उन किसानों का आपसे निवेदन है जिन्होंने सरसों और तिल की खेती में दिन-रात पसीना बहाया है ज्यादा से ज्यादा
मोमबत्ती और मोबाइल फ्लेश लाईट का उपयोग करें
मैं किसी भी राजनीति से नहीं हूँ
मैं एक भारतीय होने के नाते दिल की बात कह बैठा
जय हिन्द 🙏🏾

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11 FEB 2017 AT 9:59

What a long life couldn't achieve,
death did in an instant.

As the lid of the coffin
slid into place,
the homeless man finally had
a roof over his head.

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30 MAR 2020 AT 6:31

सड़को के चौराहों पर भूख दम घोंट रही है
अश्कों से सारा रास्ता पानी हो रहा।
खाली हाथ लौट रहा कोई मिन्नते कर
सेहर का मिजाज मेहमानी हो रहा।
आदमी तो आदमी से खौफ खाता रहा है
इंसान नहीं, खानाबदोश ईमान हो रहा।
मुबारक उन्हें ही ऐसे पत्थरों की नवाजिशें
गला सूख कर जला था अब बेजान हो रहा।

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11 NOV 2017 AT 20:40

as we scurried along,
it dawned upon us
that our path had turned
into the woods
and we stumbled upon
the door to our home.

a home, where we loved to stay
was the same place
where we were not supposed to be;

quietly we started walking
our paths aback.
ever since then we're wandering astray
like two homeless souls
in search of a stay far far away.

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7 MAR 2018 AT 16:53

I am not a writer.

But a vagrant taking shelter
in the space between words.

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