याद होगा तुझे की मैं कितना गिड़गिड़ाया था रोया था मैं तड़पा था मैं, चीखा और चिल्लाया था पर तूने एक ना सुनी मेरी अगर एक बाप की औलाद है कह कर फोन रखवाया था सुनी थी तेरी गालियाँ क्यूंकि किया था तुझसे प्यार तुझसे किए वादों के खातिर मैंने ना मानी थी हार. अब ख़ैर कुछ भी हो जाए आना मेरे पास नहीं तुझे फिरसे अपना लूं मैं ऐसी तेरी औकात नहीं