अगर हुस्न वालों का कोई धर्म या समुदाय होता तो आप उनके भगवान होते,
और बाक़ी सब साधारण लोग आपके अनुयायी l
पूजा होती, सज़दे होते, जलती मोमबत्तीयां भी l
जलने वाले आपसे जलते, करते आपकी बुराईयां भी ll
चलो मैं शायर,मैं झूठा जहाँ में अव्वल नंबर का,,,
तो इक काम करो खुद को मेरी जगह पर रख लो l
और इक फुर्सत से अपनी आँखें देख लो...
फिर खुद-को खुदकी मोहब्बत में गिरने से रोकना l
कितना मुश्किल होता है ना, अपनी आँखें मूंदना ll
समझ आयेगा हम होते हैं कितने दर्द में l
जब रहोगे खुद किसी हुस्न वाले की कैद में ll
भूख-प्यास, दिन-रात सब भुल जाओगे l
बनकर मजनू जब लैला-लैला चिल्लाओगे ll
हुस्न वालों की जग में ये रीत पुरानी चली आयी l
इश्क़ भगवंत, और आशिक अंधभक्त अनुयायी ll
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