CalmKazi 28 MAR 2017 AT 2:15 बिका जो बाज़ार में कल मेरा दर्द,दाम क्या, ईमान भी न टिका ।। - CalmKazi 28 MAR 2017 AT 11:20 लो आज वो रक्स की शाम भी आ गयी,वक़्त को राहतों की पेशगी काम आ गयी । - CalmKazi 27 MAR 2017 AT 19:15 नजरिया है कुछ ऐसा के भूख बढ़े,इश्क़ की तलब में ज़माना भिखारी हुआ । -