वो गिरता गया चांद आसमां से जो यूं,
मेरी नींद खुलती गई और वो सपना भी टूटने लगा,
वो गिरता गया सूरज आसमां से जो यूं,
मानो बातें रुक सी गई और वो साथ भी छूटने लगा।
रोज़ एक डर से लगता था मुझको जो यूं कल तक,
आज लगा कि मानो दिल टूट भी गया तो क्या होगा,
रोज़ जो खुश भी हो जाता था मैं कल तक,
आज वो मैं फिर से रो भी गया तो क्या होगा।
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