ना मैं हिंदू हूँ ना मैं मुस्लमान हूँ साहब । मेरी कोई जाति नही । अगर मेरी कोई जाति है तो वह सिर्फ ' किसान' ही मेरी जाति है । करोड़ो भूखो को अन्न खिलाता हूँ लेकिन फिर भी किस्मत का मारा हूँ । सर्दी हो या गर्मी या हो बरसात मेरे जीवन मे आराम क्या चीज होती है मुझे आज तक मालूम नही । मैं बस हालात और गंदी राजनीति का मारा किसान हूँ साहब । खेत सूखे, बच्चे भूखे, बैंक का कर्ज गमो का मारा एक किसान हूँ साहब । लोग कहते है कि मैं भारत की शान हूँ ! मैं अन्नदाता हूँ । लेकिन सच ये है ढलते सूरज की शाम हूँ मैं । क्योंकी ना मैं कोई व्यापारी हूँ ना कोई नोकरशाही
और ना कोई राजनेता बल्कि एक #kishan हूँ साहब !!
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