"मैं क्यों हूँ और कौन हूँ"।
मैं छोड़ आता हूँ अपने लाडले को रोज़ साईकल से स्कूल,
एक बेटी है मेरी, बस रोटियां सेंक के हाथ जला लेती है।
मैं ले आता हूँ , एक बड़ा टेडी बेयर अपने इश्क़ के लिए,
एक बहन है मेरी, बस चुपचाप अपना खत छुपा लेती है।
मैं सो जाता हूँ, जाने किस किस के संग ,उन चार दिनों में,
एक पत्नी हैं मेरी , बस पाँचवे दिन चुप चाप संग लेट जाती है।
मैं चिल्ला देता हूँ , जब भी खाने में नमक कम होता है।
एक माँ है मेरी, बस अगले रोज़ गलती सुधार लेती है।
मैं संदेह करता हूँ ,उसके हर काम पर ,त्याग पर ,सहनशीलता पर,
वो नारी है, बस मन की मन में रखे जी लेती है।
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