Jo bichdna tha to milna jruri tha? Jis zkhmo ko m bhul chuka tha, unhen kuredna jruri tha? Bs ek zinda lash tha m milne se pehle, Mujhe zindgi ka lalch deke fir se marna zruri tha????
कभी कभी सोचता हूँ ना जाने क्या हो गया तू बिछड़ने पे आया तो पत्थर सा हो गया तुझे क्या पता तेरे जाने के बाद क्या हुआ तुझे लिखने का सोचा उस रात और इतनी पीकर के ग़ज़ल रोती रही और शेर सो गया
आप शायद इस बात को भूल रहे हैं कि अखबार से ज्यादा कलम में ताक़त होती है। क्योंकि एक ही दिन में क्या पढ़ लोगे मुझे मैंने खुद को लिखने में सारी जिंदगी लगाई है।।