अब की बार ख़ुद की खुशी को चूरा कर लाया हूं मैं सारे गमों को बेहोशी की दावा पीला कर आया हूं मैं । नहीं पता मंजिल का लेकिन नई राह पर चलने का हौसला जुटा कर लाया हूं मैं ।। अब की बार बंदिशों को डिब्बे में बंद कर अपनी ख्वाहिशों को आजादी के नए पंख लगा कर लाया हूं मैं। अब की बार मन में जीत का जज़्बा जगा कर आया हूं मैं । हारने की सोच को आग में जला कर आया हूं मैं।।