तुम पढ़ती नहीं जिसे मैं
लिखता वही हूँ,
एक अधूरी किताब हूँ मैं
मैं तेरे बस्ते मे ग़ुम हूँ!
तुम कहती नहीं जिसे मैं
सुनता वही हूँ,
एक अधूरी कहानी हूँ मैं
मैं तेरे लफ्ज़ों मे ग़ुम हूँ!
तुम गुजरती नहीं जिधर से
मैं रहता वहीं हूँ,
तेरा रस्ता वही है पर
मैं रस्ते में ग़ुम हूँ!
जो ख़्वाब तुम देखती नहीं
मैं बुनता वही हूँ,
ये आँखें वही हैं
मैं अस्कों में ग़ुम हूँ!
मैं रस्ते में ग़ुम हूँ मैं लफ्ज़ों में ग़ुम हूँ
मैं बस्ते में ग़ुम हूँ मैं अस्कों में ग़ुम हूँ
मैं ग़ुम हूँ मगर कोई ग़म तो नहीं है
हूँ गुमशुदा मैं, मैं अब तो तुम हूँ!
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