Satish Chandra 28 MAR 2017 AT 18:37 उस खुदा की रहमत़ है या मेरी किस्मत हैजो मिली हो तुम मुझको, पूरी हुई ये मिल्कियत़ है। - Satish Chandra 28 MAR 2017 AT 12:13 शाम सी ढलती हो जो तुम, महसूस मोहब्बत़ होती हैतेरे शब़नम की चाँदनी भी मेरे दिल में शिरकत़ करती है। - Satish Chandra 30 MAR 2017 AT 15:53 तेरे चेहरे से जो नूर बरसता है,बस इसी नूर-ए-नज़र पर मेरा दिल धड़कता है। - Deeksha Ravindra Adiga 26 MAR 2017 AT 23:47 कभी सोचा न था एक अजनबी होगा इतना ख़ासखुद तो दिल के करीब हुआ ही, हमें भी मंज़िल के करीब ले आया -