बाबा हिमायती नहीं थे,अंग्रेजी के।
हिंदी से उन्हें बेहद प्यार था।
मैं अंग्रेजी न्यूज़ पढ़ रहा
बाबा खाट से उठे!
मन में कुछ बुदबुदाते हुए
बाहर को निकल आये
हाथ मे रेडियो लिए
पुराने गाने की धुन
बज रही थी,रेडियो में।
आंगन से बाहर निकल,
पेपर वाले के साइकल
की हवा निकाल कर,
उसे बुरा भला कहा।
बाबा के हरकत,सनक,
पर गुस्सा आया मुझे,
मैंने उन्हें ऊँचे लहज़े में
उन्हें खरी-खोटी सुना दिया।
बाबा मौन होकर बैठ गए,
नीचे गर्दन झुकाकर बोले,
हिंदी अख़बार के ऐसे लहजे नहीं होते।
मैं ग्लानि से उन्हें एकटुक घूर रहा था,!!
©Kundan Choudhary
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