कभी ठहरा सा दरिया था कि अब धारा हुआ हूँ मैं बड़े दिन बाद सबकी आँख का तारा हुआ हूँ मैं हक़ीक़त जानता है मन न गम है न ख़ुशी के पल मैं सब कुछ जीत कर आया मगर हारा हुआ हूँ मैं - Qasid
कभी ठहरा सा दरिया था कि अब धारा हुआ हूँ मैं बड़े दिन बाद सबकी आँख का तारा हुआ हूँ मैं हक़ीक़त जानता है मन न गम है न ख़ुशी के पल मैं सब कुछ जीत कर आया मगर हारा हुआ हूँ मैं
- Qasid