29 MAR 2017 AT 11:36

कभी ठहरा सा दरिया था कि अब धारा हुआ हूँ मैं
बड़े दिन बाद सबकी आँख का तारा हुआ हूँ मैं
हक़ीक़त जानता है मन न गम है न ख़ुशी के पल
मैं सब कुछ जीत कर आया मगर हारा हुआ हूँ मैं

- Qasid