28 MAR 2017 AT 23:49

बड़ा मुश्क़िल है बयाँ करना......
दुआ में मैंने क्या माँगा है......!!

दिल - ए - गुस्ताख़ ने रहमतों की बस्ती में.....
ख़ुदा से ख़ुदा माँगा है......!!

- Qasid