19 APR 2017 AT 13:20

शब्दों के‌ तीर का तरकस ‌पहने
मैं भी अभिमन्यु सा वीर था ।
गम और जुदाई ने छल से मारा
वरना जीवन अभी शेष था।

-Sumit R Das



- सुमित.आर.दास