26 MAY 2017 AT 17:19

उस एक अंधेरी रात का जिक्र कैसे हो भला
जिसकी सुबह ना होती तो अच्छा था
धुआँ हो गए कई रिश्ते सूरज के साथ
काश की थम जाता वो चाँद तो अच्छा था

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