24 MAY 2017 AT 18:54

तलब ऐसी कि हर कड़वी चीज़ शराब लगती है
नशा ऐसा है कि हर पंखुड़ी अब गुलाब लगती है
उम्र ऐसी कि तेरे हुस्न में घुल के उलझ जाएं हम
प्यास ऐसी है कि आजकल बेहिसाब लगती है

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