तेरा मेरा साथ न हो, हाथों में हाथ न हो, जाड़ो की सुबह में, गुलाबी ठंड न हो, मुस्काती हुई धूप में, जब तक तू मेरे होटों को अपने लबो से न छू ले तब तक हमारी सुबह मुक्कमल नही होती।
तेरा नशा ही कुछ ऐसा है मेरी दिन की शूरुआत खुशनुमा हो जाती है बस ऐसा ही इश्क़ है मेरा और मेरी प्यारी चाय का।