Subham Tivari   (शान)
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Joined 1 April 2017


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25 OCT 2021 AT 1:02

हार तकलीफ देती है!
किँतु
बेहद तरकीब देती है।

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9 SEP 2021 AT 23:41

मंज़िलों का खेल है!
किसी की यही पे है!
किसी की बस पास है!
किसी को अपना पता नही!
किसी की बोहोत दूर है!
वक़्त जितना साथ हैं खुशनुमा बिताइए!
रास्तों के मोड़ हैं, साहब! सब मंज़िलो का खेल है!

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9 SEP 2021 AT 23:40

वक़्त वक़्त की बात है।
एक वक्त था सब साथ थे।
एक वक्त है जो आज है।
जिस वक्त की सब होड़ में हैं,
वो वक़्त काल का राज़ है।
साहब! सब वक़्त वक़्त की बात है!

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9 SEP 2021 AT 23:33

क्या ज़माना है!
वक़्त हर बात का सबूत मांगता है!
हमारे नाम की चादर लपेटे हुवे खड़ा ग़ुलाब,
जिसे हमने जिंदगी लिख दी!
वो भी हमसे तारीफ़ के बेज़ुबान लफ्ज़ मांगता है।

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9 SEP 2021 AT 23:24

मुरझाये पौधे से गुस्ताखन पूछ लिया हमने,
यार तू इतना उदास क्यों हैं?

पलट वार तो देखो, बोला!

जिससे मेरी पहचान है बगिया में,
वो गुलाब मेरा तेरे पास क्यों है?

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12 MAY 2021 AT 23:26

मैं थम जाऊँ उस लट में!
मोहोब्बत काश इतनी हो।

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20 MAR 2021 AT 23:54

कहा दफन करूँ इस पीड़ को!
ख़ुदको कोसूं या कोसूं तकदीर को?

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24 DEC 2020 AT 0:37

इबादतों के किस्से नीकम्मों से क्या पूछते हो?

हमे इश्क़ किससे है?
ये हमसे पूछो!
हमारी कलम और पन्नों से क्या पूछते हो?

इश्क़, रुसवाई, इबादत, मोहोब्बत सब आपसी मसले हैं!

अमा, आप अपनी सहेलियों से क्या पूछते हो?


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15 NOV 2020 AT 23:16

यादें आँखों में होती तो क्या बात थी!
सिर्फ सारी में ही तार मखमल के क्यों?

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14 OCT 2020 AT 23:16

खास लम्हात हो!
आँखों से बात हो!
सहमे से ज़ज़्बात हो!
पल पल का एहसास हो!
ऐसे आना जैसे।
पहली मुलाकात हो!

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