29 APR 2017 AT 14:05

मेरी चाँद से जब मुलाक़ात होगी
मेरे साथ तारों की बारात होगी

अगर नींद टूटी तो सोचूंगा ये भी
अगर ख्वाब टूटे तो क्या बात होगी

मुसाफिर हूँ यारो मेरा क्या ठिकाना
कहाँ दिन ढलेगा कहा रात होगी

ये तो खेल है ज़िन्दगी का यहाँ पर
कभी शह मिलेगी कभी मात होगी 

खुदा एक है तो ये मंदिर ये मस्जिद ?
सियासत की सारी करामात होगी

ये "पागल" तुम्हारा हुआ जा रहा है
फरिश्तों की कोई खुराफात होगी

- "पागल"