17 DEC 2016 AT 0:49

शरीफों के शहर में,
मैं आवारों को ढूंढता हूँ
बेईमानों के शहर में
मैं ईमान ढूंढता हूँ
नकाबों के पीछे छिपे हैं
लोग-बाग़ यहाँ सारे
इन नकाबों के बीच
मैं कोई पहचान ढूंढता हूँ
सुना है क़ब्रगाह
बहुत हैं शहर में
मैं मुर्दों के शहर में
ज़िन्दा इंसान ढूंढता हूँ।

- अनुराग श्रीवास्तव Anurag