वो महफ़िल में कैद शहर थाऔर यह बस एक शायराना बस्तीवहाँ पहचान के शायर मिलते थेयहाँ अंजान ही पैगाम भेजते हैं - क़तरा
वो महफ़िल में कैद शहर थाऔर यह बस एक शायराना बस्तीवहाँ पहचान के शायर मिलते थेयहाँ अंजान ही पैगाम भेजते हैं
- क़तरा