माना हम ये कह नहीं सकते, कि वो हमारी है
पर सच तो ये है, कि अब भी कोशिश जारी है।
जब भी मिलता हूँ उनसे, या बातें थोड़ी हो जाती है
दिल से आती है आवाज, क्यों वो इतनी प्यारी है।
जब अपने बीते कल की बातें वो बताती है, लगता
मानों , ना उसकी, ना मेरी , ये कहानियाँ हमारी है।
ना मिलूँ तो बेचैनी, और मिलकर उनसे भुला देता हूँ दर्द सारे
ये मोहब्बत इलाज है हर मर्ज़ की, या मोहब्बत ही बीमारी है।
डर लगता है इन्कार से, पर करूँगा इज़हार मैं, फिर
अफ़सोस होगा नहीं की बिना लडे ही जंग हारी है।
क्या सोचेगी - क्या कहेगी, हाँ कहेगी या ना कहेगी
सोच सोचकर ये बातें सारी , मन मेरा भारी है।
फिर सोचता हूँ, ठुकरा भी दिया जाऊँ तो क्या
टूट चुका है दिल कई दफ़ा, अबकी उसकी बारी है।— % &
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