4 JAN 2017 AT 12:57

पता नही कब इन शांत अल्फ़ाज़ों की जुस्तजू ने उल्फत का रंग ले लिया
कह पड़ा नादान सा होकर !

क्या इस ज़िंदगी के रास्ते पर तुम मेरे आशना बनोगे ?

- सौरभ