पता नही कब इन शांत अल्फ़ाज़ों की जुस्तजू ने उल्फत का रंग ले लियाकह पड़ा नादान सा होकर !क्या इस ज़िंदगी के रास्ते पर तुम मेरे आशना बनोगे ? - सौरभ
पता नही कब इन शांत अल्फ़ाज़ों की जुस्तजू ने उल्फत का रंग ले लियाकह पड़ा नादान सा होकर !क्या इस ज़िंदगी के रास्ते पर तुम मेरे आशना बनोगे ?
- सौरभ