21 APR 2017 AT 23:53

फुर्सत हो तो बताना
तुम्हे मैं एक बात बताऊँगा
आज रात जो बह जाएँ आँसू
मैं इन अश्कों से एक दीया जलाऊँगा
संवेदनाओं से जुड़े मेरे इस वतन को
उस वतन की मैं याद दिलाऊँगा
याद जो आ जाये ये रिश्ता
मैं नीले में ज़रा सा हरा मिलाऊँगा
सरहदों से बटा है मेरा मन
तन से ही सही दोनो वतनों को साथ लाऊँगा
मंदिर हो या मस्जिद
हर जगह इंकलाब गाऊँगा
हिन्दू न मुसलमान
मैं इस देश की माटी से एक इंसान बनाऊँगा
कोई कह दे ज़रा एक बार
मैं चाँद के उस पार जाऊँगा
उतार कर तिरंगा
मैं अपने लिए एक हिजाब सिलवाऊँगा
फुर्सत हो तो बताना
तुम्हे मैं एक बात बताऊँगा

- सौरभ