Sourabh Acharya   (सौरभ)
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Joined 28 October 2016


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Joined 28 October 2016
11 FEB 2017 AT 18:00

उसकी चाल ही कुछ ऐसी चाल चल गई
होली का दिन था, आँखों में गुलाल मल गई
जाते जाते कह गई, बुरा न मानो होली है

नज़र घुमा कर देखा,
तो वो कन्या बेमिसाल निकल गई।

- सौRभ

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5 FEB 2017 AT 23:29

I'm like a saucer
I fly so up high
You try and kill me with your ego
Mine kisses the blue sky

You cheat on me
Like a loser you see
Wriggling around like a soul
And vanishing up like a plea

I'm a plain sheet
You try to spill some ink
But fail to form words
You always miss the link.

You try to outshine
The same way as the stars
I be the velvet rose on earth
You barren soil of Mars.

- SOURA3H & Satyam

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22 DEC 2016 AT 23:58

हमारा याराना कुछ अनोखा सा था
कसमें खाई गई थीं कभी ना बिछड़ने की,
शायद हम सब की याद्दाश्त में कमी आ गई है
या हम जान बूझकर वो वादें भूल गए हैं ?

मेरे दोस्त, तू खास है
और खास है हमारा रिश्ता भी
तो अगर तुझे लगे कि मै इस यारी को भूल गया हूं,
तो उन कसमों को याद कर अपने दिल को तसल्ली दे लेना मेरे दोस्त
क्योंकि तेरा यार भी यहाँ इसी तसल्ली के सहारे ज़िंदा है ।

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29 SEP 2020 AT 12:30

ग़ज़ल

तोड़ कर ये दिल मिरा फिर दिल मिरा कब तक रखोगे,
खेल अश्कों का ये जारी सिलसिला कब तक रखोगे

ज़िन्दगी भर था हिफाज़त से रखा जिस दिल को अपने
तुमको आसानी से उल्फ़त में मिला कब तक रखोगे

मेरे हिस्से आने वाला इश्क़ अब किस किस को दोगे
पूछते हो करके साज़िश ये गिला कब तक रखोगे

तौर-ए-किस्मत जो तबस्सुम को तिरी माना था तोहफ़ा
बे-नफ़स सूरत से मुझको बे-सिला कब तक रखोगे

चंद साँसें ज़िन्दगी से मांग आया बदले दिल के
इश्क़ मेरा कीमती तो दिल बिका कब तक रखोगे

माँगता है पंछियों का साथ ये महबूस सौरभ
तुम बताओ इश्क के हाकिम रिहा कब तक रखोगे

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5 AUG 2019 AT 21:40

yes, it happens.

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4 AUG 2019 AT 17:46

वो जो बंद कमरे की चार दीवारी के भीतर
उमड़ी गुमसुम हवा और उस कायरता भरे लिबास में
लिपटे अपने साये को घूरते हुए सपनों को
ये छत पर लगा पंखा घूरता हुआ अपने
धुरी पर शून्य से घूमता रहता है।

इसी भारी और तंग माहौल के आस पास
एक और सुबह होती है और कुछ वापिस
हर कोई अपने काम में व्यस्त सा प्रतीत होने लगता है।

किसी कोने में पड़ा वो तकिया उस मासूम
चेहरे को निहारता हुआ एक कविता लिखने को
आतुर होता होते हुए अचानक अपनी इस
ख़्वाहिश को कहीं दूर फेंक अपना मन
बदलता हुआ उस अँधेरे में कहीं ओझल हो जाता है।

बदले हुए इस सन्नाटे की हर वो झिझक,
अगले ही पल सनक में तब्दील होकर
एक रास्ता बनाती हुई अपने अंजाम को जाना
चाहती है, और बनते बनते अगले ही पल
टूटकर बिखर जाती है।

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4 AUG 2019 AT 17:42

The nights as they pass
with rustling winds touching
the ears, leaving a sense of trust-
one that keeps the both of us
in love, making love, breathing
heavily into each other.

As I taste you, and you are left numb-
I embrace those lips which ask me to be there.
Tucking the tongue in and rolling it over,
sensing the delicacy, kissing the clouds,
loving with intensity,
I die.

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10 JUN 2019 AT 23:41

मैंने एक प्याला इश्क़ का रखा है झरोखे पर,
कोई दिल तो शायद इस गर्मी में प्यासा होगा।

किसी की प्यास बुझ जाएगी शायद,
या कोई तो एहसास नया सा होगा।

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21 MAY 2019 AT 23:51

उसके प्यार का बोझ अब सहा नहीं जाता,
उसे कहो कि मुझे इससे आज़ाद करे।
मैं कई दफ़ा किस तलक हो चुका बार बार
अब जाकर वो किसी और को बर्बाद करे।

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21 MAY 2019 AT 0:13

सुबह-शाम जलना बन फ़ितरत मेरी मुझे नापाक रखता है,
इश्क़-मुहब्बत से रह दूर मेरा दिल बेबाक रहता है।

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