19 APR 2017 AT 0:30

मेरी आबरू में सुराख़ कर ले तू जितने भी
तेरी तोहमतों का बोझ मैं उठाता रहूँगा!

चाहे हज़ार बेड़ियाँ बाँध कर रोक ले मुझे
हर रात तेरी नींद के इंतज़ार में आता रहूँगा!

कोई गलती न कर लेना मेरी पीठ के पीछे
रौशनी में साया बन तुझे सताता रहूँगा!

- सौरभ