मेरी आबरू में सुराख़ कर ले तू जितने भीतेरी तोहमतों का बोझ मैं उठाता रहूँगा!चाहे हज़ार बेड़ियाँ बाँध कर रोक ले मुझेहर रात तेरी नींद के इंतज़ार में आता रहूँगा!कोई गलती न कर लेना मेरी पीठ के पीछेरौशनी में साया बन तुझे सताता रहूँगा! - सौरभ
मेरी आबरू में सुराख़ कर ले तू जितने भीतेरी तोहमतों का बोझ मैं उठाता रहूँगा!चाहे हज़ार बेड़ियाँ बाँध कर रोक ले मुझेहर रात तेरी नींद के इंतज़ार में आता रहूँगा!कोई गलती न कर लेना मेरी पीठ के पीछेरौशनी में साया बन तुझे सताता रहूँगा!
- सौरभ