बिक जाती हूँ, तो घर का चूल्हा जश्न मनाता है,जो न बिकू तो,जिस्म न टूटने का जश्न मनाता है!तवायफ़ हूँ साहब,समझ नही आता किस जश्न मेंखुशी मनाऊं? - शुभी खरे "मनोराज"
बिक जाती हूँ, तो घर का चूल्हा जश्न मनाता है,जो न बिकू तो,जिस्म न टूटने का जश्न मनाता है!तवायफ़ हूँ साहब,समझ नही आता किस जश्न मेंखुशी मनाऊं?
- शुभी खरे "मनोराज"