22 MAR 2017 AT 12:35

आसमांन पे छाऐ है आज़ बादल अंगिन्त क्यो
जैसे आवाज़ हो वो,जिनकी राय नही है आज़ क्यो..

बरसो जो एक दिन मुझपे कभी,
हो जाउंगा मै भी कवी
वो गीत जो सारे,अभी नही कही
हो जाएंगे अमर वो सारे कभी
यू हार कर तुम वो बादल सभी
चमकवादो सितारा उस आसमांन पर,मेरा कभी..

- shrivardhan