Shiv Nayan Prakash   (Safarnaamaa)
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आगाज़ है , अंजाम असीम बनाने के अज़ीम है हम ।
Joined 11 April 2017


आगाज़ है , अंजाम असीम बनाने के अज़ीम है हम ।
Joined 11 April 2017
24 JUN 2023 AT 23:53

धुंधली सी एक याद पकड़ कर बैठे हैं
हाथो में तेरा हाथ पकड़ कर बैठे हैं

लिखने वाले जाने क्या क्या लिख बैठे
हम अब तक वो बात पकड़ कर बैठे हैं


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18 MAR 2023 AT 15:47



आसमा में चलते—चलते थक गया था शायद
सो मेरी आंखों में आके रूक गया है बादल


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28 FEB 2023 AT 3:05

मिस्मार करते जाऊंगा हरबार यूं हीं मैं
ख़ाख–ए–बदन में हो रही ता’मीर किसकी है






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19 AUG 2022 AT 0:53

लहरें उस से मिल कर आगे गुज़र जाती हैं
इस बार यही सोंच कर साहिल अकेला था।

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15 MAR 2022 AT 0:33

दहर के मरकज़ से दहर को ख़ाक होते देखते हैं
नीम के शाख़ से इस दस्त को राख़ होते देखते हैं

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8 JAN 2022 AT 2:19

हम दोनों को बन'ना अच्छा लगता था
हम दोनों एक दूजे को तोड़ते रहते थे

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13 DEC 2021 AT 18:35

जो देते नहीं किसी को, खेलते भी नहीं हो
उन खिलौनो के दिल अक्सर टूट जाते हैं।

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8 DEC 2021 AT 2:40

मुमकिन है की एक रोज़ तुम दो मुझे आवाज़
मुमकिन है की उस रोज़ मैं मर जाया करूं ।

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20 SEP 2021 AT 21:04

जब ताकत में चूर आदमी
रूपए हांक कर अपनी अना भड़काता है।
उस चकाचौंध में ख़ाख उड़ने
भेड़िए पहुंचते है ।
कुछ खूंखार तो कुछ मंद बुद्धि, कुछ अब तक
किसी को न दबोच पाने वाले, मासूम।

पेट के कुएं से चिंघाड़ता वो आदमी,
लगातार उस भीड़ पर हुकूमत कसने की कोशिश करता है।

क्यों की वो जनता है,
भेड़चाल में भगदड़ मचते देर नहीं लगती।

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20 SEP 2021 AT 20:25

एक दूजे को पीठ दिखा कर सोए हैं
कैसे कहूं ये कुर्बत है तन्हाई नहीं ।

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