खेलती है कभी-कभी किस्मतकैसे ये संयोग के खेल,जिससे करता था वो दिन भरफेसबुक पर चैट होके मशगूल,वो निकली उसी की बीवी,रहता था जिससे बेवजह बनाकर दूरी।खुला जब महाशय का ये पोल,और फटा जो उनका ढोल,हो गए हमेशा के लिएउनके होश-हवाश गोल।😁😂😉 - शिखा अनुराग
खेलती है कभी-कभी किस्मतकैसे ये संयोग के खेल,जिससे करता था वो दिन भरफेसबुक पर चैट होके मशगूल,वो निकली उसी की बीवी,रहता था जिससे बेवजह बनाकर दूरी।खुला जब महाशय का ये पोल,और फटा जो उनका ढोल,हो गए हमेशा के लिएउनके होश-हवाश गोल।😁😂😉
- शिखा अनुराग