हुआ जब त्रेता युग में सीता हरण,
समस्त समाज ने लगाए ये आक्षेप...
लांघी तुमने लक्ष्मण रेखा,
इसलिए मिला तुम्हें ये दंड!
अब निरपराध होकर भी तुमको,
भोगना ही होगा सदैव कष्ट!
है सवाल उसी समाज से
आज ये हम समस्त स्त्रियों का...
जब हो घर के अंदर ही रावण मौजूद,
कहाँ खींचे हम लक्ष्मण रेखा,
कैसे बचाएं हम अपना वजूद!
क्यों खड़े हो हम सदैव,
कटघरे में अपराधी के!
और सर उठाकर घूमे वो दोषी,
जो घाव लगाए तन पर मन पर भी!
काश! खींच पाती सीता उस युग में,
लक्ष्मण की जगह सीता रेखा!
तब शायद आज इस युग में,
हम पाते सम्मान एक सरीखा!

- शिखा अनुराग