है ये मोहब्बत की जादूगरी,या है ये मेरा वहम!बढ़ जाती है वक्त की रफ़्तार,साथ जब होते है हम!सोचती हूं अक्सर ही तेरे जाने के बाद,अभी-अभी ही तो आया था तू!और अभी हूँ मैं फिर से तन्हा,है ये आखिर कैसा सितम! - शिखा अनुराग
है ये मोहब्बत की जादूगरी,या है ये मेरा वहम!बढ़ जाती है वक्त की रफ़्तार,साथ जब होते है हम!सोचती हूं अक्सर ही तेरे जाने के बाद,अभी-अभी ही तो आया था तू!और अभी हूँ मैं फिर से तन्हा,है ये आखिर कैसा सितम!
- शिखा अनुराग