Sarthak Jain   (Zindadil - alive)
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|Dharmo rakshati rakshitah|
Joined 7 April 2017


|Dharmo rakshati rakshitah|
Joined 7 April 2017
8 APR AT 21:06

बिखरा हूं मैं, मिटा नही..

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15 MAR AT 10:23

खुद से ही नफरत होने लगी है
इतना टूटकर चाहा तुम्हे
अब चाहत से घिन होने लगी है..

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29 FEB AT 17:27

तेरी हर नाकामी, खामी को हमने अपनाया
बस तुझसे एक हम नही अपनाए गए...

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29 FEB AT 17:20

तुमसे इश्क संभला नही, इसलिए हम चल दिए,
खैर अब ये बताओ, कौनसी तरकीब निकाली है हमे बदनाम करने की...

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24 FEB AT 15:55

सांसे दंग है, धड़कने तेज़ है
बड़ी बेचैनी है,
हा हम उनका इंतजार कर रहे है..

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15 FEB AT 23:07

वो गुलाब भी सोच रहा होगा,
कौन है जिनके सामने मेरी सुंदरता फीकी पड़ रही है,
हमने इतरा कर कहा
जान है वो हमारी...

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7 FEB AT 20:26

अब हम उन्हे क्या ही गुलाब दे जो
हमारे लिए किसी गुलिस्तान से कम नहीं...

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7 FEB AT 1:31

खुदा करे उनके हिस्से का इंतज़ार भी मुझे मिल जाए
वरना जान सह नहीं पाएंगे गम जुदाई का..

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7 FEB AT 1:28

उनकी मुस्कान काफी है, मेरे इस इंतज़ार के फल में..

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7 FEB AT 1:17

मेहबूब का इंतज़ार, क्या कहना
सीने में मीठा दर्द, क्या कहना..

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