एक तलब सी है उसको भागने की,
मुझसे? खुदसे? पता नही किस बात से?
अपने चारों ओर एक घेरा बनाने की,
कुछ देर अंधेरे में डूब जाने की,
मेरी नजरों से छुप जाने की
एक नई सुबह के साथ उभर आने की।
एक चाहत है उसकी,
कुछ दूर जाने की,
कुछ तलाशने की ,
कुछ नया पाने की।
मुझे डर लगता है,
नएपन से, परिवर्तन से,
नई चमक और चाहत से,
क्या करूं,उम्र हो चली है मेरी।
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