Sapna Jain   (©Ink Of Emotions)
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Joined 12 January 2017


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12 JAN 2021 AT 16:58

कितना सुकून मिलता होगा तुम्हें
इन बेजुबानों को मारने के बाद,
कभी हो शब्द तो बताना, क्या हश्र होता तुम्हारा अगर यही बीतता तुम्हारे अपनों के साथ

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29 DEC 2020 AT 17:33

खामख़ा उस इश्क़ की खता हो गए
अनजान थे उस भूल से अब तक
तुम मेरी पहली और आख़िरी वफ़ा हो गए

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29 DEC 2020 AT 17:24

मासूमियत से उसकी,मेरी ज़िन्दगी गुलज़ार है,
झुलसती सी धूप ज़िन्दगी और उसकी बाहें आबाशार है

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19 OCT 2020 AT 17:31

जज़्बातों के तूफ़ान का तुम इल्म ना करना,
तुम्हारी गैरहाजिरी में ये बड़ी मनमानी करते है

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4 SEP 2020 AT 15:56

कहने दो उन्हें जो पीठ पीछे
तुम्हें कुछ ना कुछ कहते होंगें
डरते होंगे सच्चाई से
या तुम्हारे रुतबे से जलते होंगे

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31 AUG 2020 AT 20:09

हित हर जीव का हो
हक हर जीव का हो
नफ़रत के खंजर ना चले उन पर
इतना खौफ़ उस रब का हो

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5 AUG 2020 AT 21:07

तजुर्बों की बातें उम्र के मुताबिक़ हो तो ही अच्छा है,
वरना तो सरेआम चौराहों पर भी कद्रदान बहुत है

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25 JUL 2020 AT 12:43

ख्वाहिशों के पिंजरे में
बेचैन सा है तू
उड़ रहा है परिंदा
फिर कैद सा है क्यों
भार उम्मीदों का
भय ज़मीनों का
लेकर उड़ रहा है क्यों
हो जा आज़ाद
इन सलाखों से
लड़ रहा है क्यों

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25 JUL 2020 AT 12:33

मासूम सी जुस्तजू थी
आंखों को ना मिले वो सावन
मिले तो अगर बस
मिले तो बस हरियाली
मिला जो अब वो
ना था सावन ना हरियाली
सूखे से अंजुमन में
सूखा रह गया वो सवाली

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25 JUL 2020 AT 12:26

बुझा दो ये दीपक
रोशनी को इसकी अब दरकार नहीं

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