हे शिव प्रिय !
मेरे पास तुझे अर्पण करने के लिए
पुष्प,पत्र एवम् प्रेम मात्र था।
बलिदान के लिए मेरा अंहकार,
क्रोध, वासना एवम् किंचित समय था ।
भोग हेतु मदन दुग्ध,मधु,रसीले फ़ल
स्नान हेतु नयन जल,
सुवासित धूप चंदन एवम्
माधुर्य संजीवन सम औषधि थी।
मेरा सर्व समपर्ण ही मेरी भक्ति,भजन,
संध्या कीर्तन का मुखरित स्वरूप है ।
इससे अधिक कोई प्रेम भेंट क्या दे सकता था।
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