25 MAY 2017 AT 17:15

काली सी रात के इस पहर में,
देखा खुद को जब आईने में,
ना दिखा कुछ भी ऐसा,
बनना था मुझको जैसा,
सारे सपने अपने दफ़ना कर,
छोड़ कर मैं अपना दर,
चली आई अपने इस घर,
अपनी ही पहचान भुला कर।

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