महीनों बीत गए, फिर भी सब कुछ कल-सा लगता है,
पन्ने पलट गए उस किताब के, फिर भी अधूरा वो किस्सा, मुकम्मल-सा लगता है,
जज़्बात के मोती, फासले की धागों से एक-एक कर छूट गए,
फ़ैसले कुछ ऐसे किए दिल ने कि बिना जुड़े ही तुमसे सारे रिश्ते टूट गए,
जाते-जाते उस अधूरी कहानी ने एक एहसास पिरोया था,
सितारों की चाहत में जिसने चाँद को खोया हो, भला उसके लिए कभी चाँद रोया था?
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