26 FEB 2017 AT 15:42

खो जाने को दिल चाहता है
ग़ैरत-ए-ग़म में,
वैसे भी अब बचा ही क्या है
तुम्हारे बिन....'हम' में
- साकेत गर्ग

- साकेत गर्ग ’सागा’