26 MAY 2017 AT 17:31

खबर मिली है कि अब वो महरूम हैं मेरी यादों से,
रुखसत ले ली उन्होंने मेरे साथ चलने के इरादों से।

था वो वाकया भी क्या जब नजरें झुकी थीं महफ़िल में,
इश्क़ ही इश्क़ बरपा था भरपूर खुमारी दोनों के दिल में।

बेवजह मुस्कुराने की जब एक वजह बन गई तुम,
और जाने कितनी शामों को मेरी बांहों में हुई गुम।

तलाश अब भी है उन सूख चुके गुलाबों के काँटों की,
कली तो कल भी खिली थी उन टूट चुके सौगातों की।

कल फिर तुम क्यों आयी थी मेरे मन पर फूल खिलाने,
जल चुकी है राख भी अब तुमको भूलने के बहाने।



- रुस्तम