Rohit Dalodia  
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Joined 13 January 2017


Joined 13 January 2017
19 APR 2022 AT 21:53

ख्यालो में गर मुमकिन हो
तेरी जहन की दहलीज़ों पर
मैं खुद से मिल तो लूं

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16 APR 2022 AT 0:04

गुज़रते ही उजाला, खयालो की रात निकलती है
ढलती शाम के बाद, कही मशालें कही याद जलती है

दिनभर मसलों में मशरूफ हूँ तो नज़र नही आती
रात में वो तन्हाई बड़े जशन से निकलती है

सोचता हूं सो जाऊ ख्यालों से थक कर एक दफा
पर ये आंखें हैं , इनसे नींद नही संभलती है

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13 APR 2022 AT 22:05

रास ना आया आसानी से जलना बंद मकानों में
आँधियाँ थी मंजिलें कुछ मशालों की

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13 APR 2022 AT 21:44

मासूम चेहरा उसका और गुस्सा ज़ुबान में
आयी हो जैसे बरसात लिपटकर तूफान में

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13 APR 2022 AT 21:26

देदी सबको अपनी रोशनी,
और अंधेरे में मर गया मेरा साया

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12 APR 2022 AT 20:26

अँधेरो में डूब जाने का खूबसूरत ज़रिया था
रात की खाई थी, सितारों का दरिया था

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4 APR 2022 AT 21:09

हसरतें बेहिसाब थी जब तलक हासिल ना हुआ
मर गया फूल वो मकानों में
देख के खूबसूरती बग़ीचों की
जिसे मांगा था बागबानों से

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4 APR 2022 AT 20:55

जल रही है धूप में मेरी उम्मीद की तितलियाँ
ऐ खुदा भेज दे थोड़े बादल उधार के

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5 JAN 2021 AT 23:27

मुहाफ़िज़ है मेरी, कबूतरों की ज़मीन है
सर्द मौसम की दोपहरी की ये छत बड़ी हसीन है

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18 DEC 2020 AT 19:33

सुहाना था सफर कुदरती आबो हवा में, बस
बनावटी एक शहर से गुजरना मुश्किल हो गया

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