24 MAY 2017 AT 14:30

सुनो, जरा सुनो ना।
आखिर कब तक खुद को इस बोझ तले दबाते रहोगे?
कब तक खुद को उन चीज़ों के लिए भी गुनहगार समझोगे जिन पर तुम्हारा कोई बस न था?
कब तक खुद को अनजाने में हुए हादसों की सज़ा दोगे?
अब बस भी करो ना।
आओ बैठो मेरे पास। मन में जो भी है तुम्हारे, कह दो आज।
घबराओ मत, यहाँ कोई तुम्हारी आलोचना नहीं करेगा। खुद को तुम्हे किसी को साबित नहीं करना पड़ेगा।
सुनो, मेरी बात समझो। खुद से ही यूं बैर न करो।

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