देख कर ख़ुशियाँ मेरी ज़माना जलने लगा है,
मुझ जैसा बनने की कोशिश अब करने लगा है,
सुन कर के इंसान की हैवानियत की दास्तान,
शैतान तक ग़ुस्से की आग में जलने लगा है,
एक तुझसे ही उम्मीद थी मुझे लेकिन, सुना है
तू भी अब ज़माने के रंगों में रंगने लगा है,
जब से देखा है ये चट्टान सा हौंसला मेरा,
ख़ौफ़ मेरा दुश्मनों में तब से बढ़ने लगा है,
दूर कहीं संग उसके हो इक छोटा सा आशियाँ,
ख़्वाब ये कैसा इन आँखों में पलने लगा है,
नींद चैन भूख सब कुछ खो बैठी है वो अपना,
सुना है इश्क़ मेरे का ख़ुमार चढ़ने लगा है,
हर बार दिया है धोखा हाथों की लकीरों ने,
दिल मेरा क़िस्मत से अपनी अब डरने लगा है।
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