ऐसा क्या तिलिस्म है तेरे हिज़्र में जो हम मर के भी जिंदा है टूट कर चाहा था तुझे क्या सिर्फ इसीलिए शर्मिंदा हैं । #राखी - #राखी
ऐसा क्या तिलिस्म है तेरे हिज़्र में जो हम मर के भी जिंदा है टूट कर चाहा था तुझे क्या सिर्फ इसीलिए शर्मिंदा हैं । #राखी
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