मैं पंछी किसी अंजान गगन का, कुछ अधूरा और कुछ पूरा सा..!! - © मुसाफ़िर
मैं पंछी किसी अंजान गगन का, कुछ अधूरा और कुछ पूरा सा..!!
- © मुसाफ़िर